चंडीगढ़
पंजाब विधानसभा चुनाव के लिए मतदान संपन्न हो गया है। मतगणना 10 मार्च को होगी। राज्य में ओवरआल भले ही मतदान का प्रतिशत 2017 के 77.40 के मुकाबले 5.45 फीसदी गिरा हो, लेकिन जिन क्षेत्रों में प्रमुख डेरों का प्रभाव है, वहां पर बढ़ा मतदान प्रत्याशियों की उलझन को बढ़ा रहा है। वहीं, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा मतदान से पहले धार्मिक गुरुओं से मिलना भी कांग्रेस और आम आदमी के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। दोनों ही पार्टियां उन इलाकों के चुनाव परिणाम का गुणा-भाग करने में जुटी हुई हैं, जहां पर डेरा सिरसा वालों का ज्यादा प्रभाव माना जाता है।
डेरा सच्चा सौदा को छोड़कर भले ही राज्य में अन्य कोई डेरा सीधे रूप से राजनीतिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करता हो लेकिन इनका प्रभाव हमेशा ही मतदाताओं पर पड़ता रहा है। यही कारण है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के ने मतदान से पूर्व डेरों के प्रमुखों से मुलाकात की। इन मुलाकातों ने कांग्रेस, शिरोमणि अकाली दल और आम आदमी पार्टी की चिंता जरूर बढ़ा दी थी, लेकिन जिस प्रकार से डेरा सिरसा का झुकाव भाजपा और अकाली दल की तरफ दिखाई दिया उससे मालवा के राजनीतिक समीकरण के बदलने के पूरे-पूरे संकेत मिल रहे हैं।2017 में डेरों का झुकाव कांग्रेस की तरफ था। जिसका असर भी चुनाव परिणाम में देखने को मिला था। कांग्रेस 77 विधायकों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। 2017 के मतदान औसत की तुलना करे तो बठिंडा शहरी सीट पर 72.29 फीसद मतदान हुआ था, जबकि बठिंडा देहाती में 82.21 फीसद था। तब कांग्रेस ने शहरी सीट को और आम आदमी पार्टी ने अकाली दल के हाथों से यह सीट छीन ली थी। कमोबेश यही स्थिति अबोहर और फाजिल्का में देखने को मिली थी। कांग्रेस ने फाजिल्का में भाजपा से तो भाजपा ने अबोहर में कांग्रेस के हाथों से सीट खींच ली थी। 2017 में भी जिस सीटों पर डेरे का प्रभाव रहता है, वहां पर मतदान का प्रतिशत बढ़ा था और चुनाव परिणाम में उलटफेर देखने को मिला था।
2022 के मतदान में भी उन्हीं सीटों पर भारी मतदान हुआ है। फिर चाहे बठिंडा में 76 फीसदी से ज्यादा मतदान हो या फरीदकोट में 76 फीसदी से ज्यादा, फाजिल्का में 77 फीसदी, मानसा में 77 फीसदी, संगरूर में 75 फीसदी से ज्यादा मतदान देखने को मिला है। डेरा सच्चा सौदा मालवा की 50 के करीब सीटों पर प्रभाव रखता है लेकिन 26 ऐसी सीटें है, जिन पर सीधा प्रभाव है। इसी प्रकार जालंधर में डेरा बल्ला का भी दोआबा की करीब एक दर्जन सीटों पर सीधा प्रभाव रहता है। पंजाब में सबसे अधिक प्रभाव डेरा ब्यास का माना जाता है, लेकिन डेरा ब्यास कभी भी राजनीतिक रूप से किसी भी पार्टी के हक में नहीं उतरता है। इस बार चुनाव से पहले डेरा मुखी गुरिंदर सिंह ढिल्लों ने प्रधानमंत्री के साथ मुलाकात की। इसी प्रकार नामधारी समुदाय के प्रमुख सतगुरु उदय सिंह ने भी प्रधानमंत्री के साथ मुलाकात की थी।
प्रमुख सीटें एक नजर मेंविधान सभा सीट 2017 (मतदान %) 2022 (मतदान %)
बठिंडा शहरी 72.79 69.89
बठिंडा देहाती 82.21 78.24
फरीदकोट 81.53 75.67
अबोहर 83.50 73.76
फाजिल्का 86.71 80.87
मानसा 84.17 78.99
नाभा 81.11 77.05
फिल्लौर 75.75 67.28
आदमपुर 73.60 67.53
करतारपुर 74.01 67.49
जालंधर वेस्ट 72.70 67.31