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Khalistan Referendum: पांच डॉलर वाला कनाडा का जनमत संग्रह?

Hindi Express news | November 18, 2023 09:15 AM

Khalistan Referendum: पांच डॉलर वाला कनाडा का जनमत संग्रह? 

Toronto: केंद्रीय खुफिया एजेंसी से जुड़े सूत्रों के मुताबिक बीते कुछ महीनों से अलग-अलग तरीखों पर किए जाने वाले खालिस्तान जनमत संग्रह के दौरान कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। सूत्रों का कहना है कि सबसे महत्वपूर्ण जानकारी यही निकल कर आई है कि सिख फॉर जस्टिस जनमत संग्रह के नाम पर सिर्फ खुद को वित्तीय रूप से मजबूत करने का धंधा शुरू कर चुका है...
कनाडा में अभी तक कुछ दिनों के दौरान जनमत संग्रह के नाम पर सिख फॉर जस्टिस ने बहुत बड़ा खेल कर डाला। कहने को तो खालिस्तान समर्थकों और सिख फॉर जस्टिस के आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू ने लोगों को जनमत संग्रह के लिए बुलाया। लेकिन इस दौरान उनसे धन उगाही की जाने लगी। यही नहीं जनमत संग्रह के नाम पर चल रहे खेल का खुलासा तब हुआ जब लोगों ने सिख फॉर जस्टिस से अब तक हुए मतदान का प्रतिशत और भाग लेने वालों की संख्या का खुलासा करने को कहा। केंद्रीय खुफिया एजेंसी को मिली जानकारी के मुताबिक इस जनमत संग्रह में शामिल लोगों ने स्पष्ट किया कि दरअसल इसके पीछे खालिस्तान की मांग का मकसद आतंकी संगठन सिख फॉर जस्टिस के वित्तीय संसाधनों को मजबूत करने का है। हालात इस तरह हो गए हैं कि कुछ गुरुद्वारों में मत्था टेकने पहुंच रहे लोगों से खालिस्तानी समर्थकों की ओर से जोर जबरदस्ती धन उगाही की जा रही है।

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केंद्रीय खुफिया एजेंसी से जुड़े सूत्रों के मुताबिक बीते कुछ महीनों से अलग-अलग तरीखों पर किए जाने वाले खालिस्तान जनमत संग्रह के दौरान कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। सूत्रों का कहना है कि सबसे महत्वपूर्ण जानकारी यही निकल कर आई है कि सिख फॉर जस्टिस जनमत संग्रह के नाम पर सिर्फ खुद को वित्तीय रूप से मजबूत करने का धंधा शुरू कर चुका है। इसका खुलासा जनमत संग्रह में भाग लेने वाले कुछ सिख समुदाय के लोगों ने तब किया जब उन्होंने सिख फॉर जस्टिस के गुरुपतवंत सिंह पन्नू और उनके सहयोगियों को मेल कर अब तक हुए जनमत संग्रह में शामिल लोगों की संख्या का खुलासा करने को कहा। लेकिन अब तक इसमें शामिल लोगों की संख्या का खुलासा करने की जगह उनसे कुछ और ही डिमांड कर दी गई। जानकारी के मुताबिक इस तरीके की कोई भी संख्या जारी नहीं की गई। बल्कि इन लोगों से पांच-पांच डॉलर की रकम वसूल कर कुछ लोगों के पास जमा करने को कहा गया। यही नहीं जनमत संग्रह के नाम पर एक बार और नई तारीख की घोषणा भी कर दी गई।

खुफिया एजेंसी से जुड़े सूत्रों का कहना है कि सिख फॉर जस्टिस और तमाम अन्य खालिस्तान समर्थकों की ओर से जो जनमत संग्रह की बात की जा रही है, दरअसल वह पूरी तरीके से छलावा और दिखावा है। क्योंकि सिख फॉर जस्टिस और खालिस्तान समर्थक तर्क यही देते हैं कि अब तक सिर्फ ब्रिटिश कोलंबिया के सरे इलाके में ही डेढ़ लाख से ज्यादा लोगों ने जनमत संग्रह में भाग लिया है। जबकि हकीकत यह है कि ब्रिटिश कोलंबिया के सरे इलाके में सिखों की कुल आबादी ही डेढ़ लाख के करीब है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि अगर सरे की कुल आबादी के बराबर की संख्या ने इस जनमत संग्रह में हिस्सा ले लिया है, तो बार-बार एक इलाके में ही जनमत संग्रह की आवश्यकता क्यों पड़ रही है। खुफिया एजेंसियों को मिली जानकारी के मुताबिक दरअसल खालिस्तान समर्थकों की ओर से किए जाने वाले इस जनमत संग्रह में न तो सफलता मिल पा रही है और न ही लोग इसमें हिस्सा ले रहे हैं।

इसके अलावा केंद्रीय खुफिया एजेंसी को मिली जानकारी के मुताबिक जनमत संग्रह में हिस्सा लेने वाले या रूटीन में गुरुद्वारा जाने वालों से जनमत संग्रह के नाम पर जमकर धनवाही उगाही भी आतंकी संगठनों और खालिस्तानी समर्थकों की ओर से की जा रही है। जनमत संग्रह वाले दिन पहुंचने वाले लोगों से न्यूनतम पांच डॉलर सिख फॉर जस्टिस समेत खालिस्तान समर्थन करने वाली संस्थाओं को जबरदस्ती देने के लिए दबाव डाला जाता है। इस तरह की शिकायतें कई लोगों ने कनाडा के अलग-अलग गुरुद्वारों और वहां के अन्य जिम्मेदारों से भी की हैं। खुफिया एजेंसी से जुड़े सूत्रों का कहना है कि दरअसल इस पूरे जनमत संग्रह के नाम पर पैसा इकट्ठा कर और भारत के खिलाफ माहौल बनाने की तैयारी को अमली जामा पहनाया जाता है। इसके अलावा जो पैसा आता है, उसे भारत के खिलाफ आगे की रणनीति बनाने के लिए आतंकी संगठन उसका इस्तेमाल करते हैं।

खुफिया एजेंसियों को मिली जानकारी के मुताबिक खालिस्तान के नाम पर किए जाने वाले जनमत संग्रह के दौरान उन भटके हुए सिख युवाओं को इसमें शामिल किया जाता है जो उनके अपने नेटवर्क के माध्यम से भारत से कनाडा पहुंचे हैं। इनमें से बहुतों की संख्या गुरुद्वारे में काम करने वाले कारिंदों के तौर पर चिह्नित की गई है। सूत्रों के मुताबिक इन्हीं लोगों की ओर से अलग-अलग नाम बदलकर एक फेक जनमत संग्रह की कहानी तैयार की जा रही है। हालांकि खुफिया एजेंजियों के जुड़े सूत्रों का कहना है कि इस जनमत संग्रह के होने और न होने से भारत के ऊपर कोई फर्क नहीं पड़ता। लेकिन जिस तरीके की गतिविधियों से कनाडा की जमीन पर भारत के खिलाफ माहौल बनाया जा रहा है, उसे लेकर वह हमेशा सतर्क ही रहते हैं।

खुफिया एजेंसी से ताल्लुक रखने वाले अधिकारियों का कहना है कि पिछली बार हुए ब्रिटिश कोलंबिया के जनमत संग्रह में सरे के गुरुद्वारे में मारपीट और हंगामे की स्थिति पैदा हुई थी। इसके पीछे तर्क यही दिया जा रहा था कि वहां पर शामिल लोग गुरुद्वारे में मत्था टेकने के लिए पहुंचे थे और उनको जबरदस्ती जनमत संग्रह के नाम पर इसमें हिस्सा लेने के लिए मजबूर किया जा रहा था। ऐसा न करने वालों के साथ खालिस्तान समर्थको ने न सिर्फ विवाद किया बल्कि उनको धमकियां भी दीं।

खुफिया एजेंसियों से जुड़े रहे पूर्व वरिष्ठ अधिकारी हरभजन सिंह संधू कहते हैं कि इस इनपुट के आधार पर एक बात तो स्पष्ट कही जा सकती है कि खालिस्तान समर्थकों की ओर से किए जाने वाले प्रोपेगेंडा की असलियत से कनाडा में रहने वाले सिख वाकिफ हो गए हैं। यही वजह है कि लोग इनकी आवाज पर अब कम ही जुटते हैं और जनमत संग्रह में हिस्सेदारी भी न के बराबर ही होती है। उनका मानना है कि संभव है खालिस्तान समर्थक इसके पीछे सिर्फ सिख युवाओं और सिख आबादी में संदेश देकर माहौल बनाने की कोशिश कर रहे हों, लेकिन वह उसमें भी सफल नहीं हो पा रहे हैं। संधू मानते हैं कि कनाडा में खालिस्तान समर्थक जरूर हैं लेकिन यह कहना कि वहां की सिख आबादी में खालिस्तानियों की संख्या ज्यादा है, तो ऐसा बिल्कुल नहीं है। उनका मानना है कि हर बार होने वाले जनमत संग्रह बताते हैं कि लोग इसमें बिल्कुल भी दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं।

 
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