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48 साल बाद लौटाई लाइब्रैरी की किताब, रिटायर्ड जज ने कैनेडा से पोस्ट कर भेजी बुक

Hindi Express news | June 18, 2022 02:34 AM

48 साल बाद लौटाई लाइब्रैरी की किताब, रिटायर्ड जज ने कैनेडा से पोस्ट कर भेजी बुक

टोरंटो

दोस्तों से लिया उधार और लाइब्रैरी से ली गई किताब, कुछ चुनिंदा लोगों को छोड़ शायद ही कोई वक्त पर लौटाता होगा। अक्सर लोग भूल ही जाते हैं, लेकिन बड़ी बात तो तब है, जब याद आने पर लापरवाही न कर उसे लौटा दिया जाए। वक्त पर ना सही बेवक्त ही सही, मगर चीज़ अपनी जगह लौटनी चाहिए। लेकिन एक जनाब ने तो हद ही कर दी। लाइब्रैरी से किताब लेकर पढ़े, बड़े साहब बन गए। और अब 48 साल बाद जाकर पुस्तकालय की पुस्तक लौटाई है।

ब्रिटिश पुस्तकालय में 48 साल बाद कुरियर के ज़रिए एक किताब लौटाई गई तो लाइब्रैरी इंचार्ज के चेहरे पर गजब की खुशी देखने को मिली। किताब कैनेडा से भेजी गई थी। अगर लेट फीस माफ न की गई होती, तो अब तक बुक लौटाने वाले को करीब6 लाख रुपए जमा करने पड़े होते। लंदन में टुटिंग लाइब्रेरी ने बताया कि कैनेडा से मिले पैकेज में 48 साल पहले इशू कराई गई किताब मिली।

 

48 साल बाद न्यायाधीश ने किताब से किया न्याय

बस हाफ सेंचुरी पूरी होने से थोड़ा पहले ही जज साहब को याद आया कि, उन्होंने अपनी कॉलेज के दिनों में एक लाइब्रैरी से किताब ली थी। जो उन्होंने करीब 5 दशक से नहीं लौटाई। लेकिन गनीमत है कि जब उन्हें इस बात का एहसास हुआ, उन्होंने पैकेज के ज़रिए किताब लौटाई। वैंड्सवर्थ लाइब्रेरीज़ ने इस बारे में बताया कि लंदन में टुटिंग लाइब्रेरी को हाल ही में कैनेडा से मेल आया, जिसमें एक पैकेज मिला। पैकेज खोलने पर देखा गया तो उसमें रिचर्ड ब्रूटिगन द्वारा बिग सुर से एक कॉन्फेडरेट जनरल की एक प्रति मिली। यह किताब 1974 में लाइब्रैरी से उधार ली गई थी, और लगभग 48 वर्ष और 107 दिनों बाद लौटाई गई।

 

किताब के दोबारा लाइब्रैरी में लौटने से खुशी

लाइब्रैरी ने बुक लौटाने वाले का पता करने के लिए किताब की तस्वीर ट्विटर पर शेयर की, जिसके जवाब में पता चला कि 72साल के टोनी स्पेंस, जो ब्रिटिश कोलंबिया में रहने वाले एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश थे। उन्होंने अब तक किताब अपने पास रखी। लाइब्रैरी इंचार्ज के मुताबिक अगर इतने सालों का किताब का लेट चार्ज लगाया जाता, तो बुक रखने वाले को तकरीबन 6 लाख रूपए जमा करने पड़ते। लेकिन ये सारे चार्जेज़ माफ कर दिए गए। खुशी इस बात की है कम से कम किताब दोबारा पुस्तकालय की आलमारी में अपनी जगह बना पाएगी।

 
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