23 मई को मनाया जाएगा कामगाटामारू रिमेंबरेंस डे
ब्रैम्पटन
कामागाटामारू के हादसे को लेकर ब्रिटिश कोलंबिया, कैनेडा को माफी मांगने पर मजबूर करने वाले राज सिंह तूर की एक और मांग को मानकर कैनेडा में ऐसे 15 परिवारों को खोजा गया है, जो कि कामागाटामारू हादसे में पीड़ितों के वंशज हैं। तूर के प्रयासों से ही 2020 में 23 मई को कामागाटामारू रिमेंबरेंस डे मनाए जाने की घोषणा की गई थी लेकिन कोविड के चलते दो साल इस दिन को मनाया नहीं जा सका। इस साल 23 मई को कामागाटामारू रिमेंबरेंस डे मनाए जाने की तैयारी की जा रही है।
कामागाटामारू सोसायटी काफी सालों से ब्रिटिश कोलंबिया में इस घटना को लेकर कई तरह के प्रयास कर रही है।
सोसायटी से जुड़े राज सिंह तूर लगातार इस घटना को लेकर सरकार से अधिक जानकारी मांग रहे थे। वे सोसायटी के प्रवक्ता भी हैं और उनका कहना है कि 23 मई का दिन कामागाटामारू के पीड़ितों के साथ ही बीसी में अन्य साउथ एशियनों और अन्य नस्लीय समूहों के साथ हुई असमानता का भी प्रतीक है।
तूर के दादा पूरन सिंह जनेतपुर, पढ़ाई के लिए कैनेडा आ रहे थे और वे उस कामागाटामारू शिप पर सवार थे, जो कि 23 मई, 1914 को वैंकूवर हार्बर पर पहुंचा था। शिप में 376 सिख, मुस्लिम और हिंदू यात्री थे जो कि भारत से कैनेडा गए थे। ब्रिटिश सरकार के इशारे पर इन यात्रियों को कैनेडा में उतरने नहीं दिया गया और 2 महीने तक शिप समुद्र में ही खड़ा रहा और आखिर में कोलकाता वापिस भेज दिया गया। वहां पर ब्रिटिश पुलिस ने कई यात्रियों को अंग्रेज शासन के खिलाफ साजिश करने के लिए गिरफ्तार कर लिया। इस मौके पर भीड़ भड़क गई और गोलीबारी में 19 लोग मारे गए।
1968 में कैनेडा आने का मिला था मौका पर उन्होंने इंकार कर दिया
तूर का कहना है कि शिप पर यात्रियों को भूखा-प्यासा रखा गया और उनको एक फौजी शिप के साये में वापिस भेजा गया। तूर के दादा को भी पुलिस ने पकड़ कर पांच साल की सजा सुना दी। जेल से छूटने के बाद भी उनको गांव से बाहर निकलने की इजाजत नहीं दी गई। आजादी के बाद 1962 में पंजाब सरकार ने स्वतंत्रता सेनानी के तौर पर सम्मानित किया। 1968 में उनके रिश्तेदारों ने उनको स्पांसर कर कैनेडा आने के लिए कहा लेकिन उन्होंने कैनेडा की कड़वी यादों के चलते कैनेडा आने से इंकार कर दिया और पंजाब में ही किसान बन कर रहे। बाद में राज तूर के प्रयासों के चलते ही 23मई, 2008 को बीसी एसेंबली में इस घटना के लिए माफी मांगी। जुलाई 2019 में सर्रे सिटी काउंसिल ने तूर की मांग पर एक स्ट्रीट का नाम भी कामागाटामारू वे कर दिया।