कैनेडा बसना चाहते हैं अफग़़ान दुभाषिए, मगर क्या तालिबान जाने देंगे?
ओटावा
अफग़़ानिस्तान के सैफ़ुल्ला मोहम्मद ज़ाहिद 2011 के अंत में कंधार प्रांत में कैनेडा के सैनिकों के लिए दुभाषिया का काम रहे थे। उस समय उन्हें तालिबान का भेजा एक ख़त मिला। वो याद करते हैं, "उन्होंने लिखा था कि वे जानते हैं कि मैं 'काफिऱों' के लिए काम कर रहा हूं। उन्होंने मुझे वो काम छोडऩे को कहा। उन्होंने कहा कि यदि मैंने ऐसा नहीं किया तो वे मुझे और मेरे परिवार को मार डालेंगे।"
तालिबान का जन्मस्थान कहे जाने वाले कंधार प्रांत में कैनेडा और नेटो के सुरक्षा बलों के साथ छह साल बाद ज़ाहिद को कैनेडा जाना पड़ा, क्योंकि तालिबान की धमकी बेकार की नहीं थी।
कैनेडा के कैलगरी के अपने घर से ज़ाहिद ने बताया, "तालिबान ने मेरे पिता की गोली मारकर हत्या कर दी थी। तब से, मेरा परिवार अफग़़ानिस्तान के एक प्रांत से दूसरे प्रांत में घूम रहा है। हम सभी लंबे समय से तालिबान के निशाने पर हैं।" सैफ़ुल्ला मोहम्मद ज़ाहिद उन सैकड़ों अफग़ानों में शामिल हैं, जो कैनेडा की सेना के लिए दुभाषिए और अन्य काम कर चुके हैं। उन लोगों में से कई अपने परिवारों को अफग़़ानिस्तान से बाहर निकाले जाने की उम्मीद में अभी भी हैं। अपने देश में उन्हें तालिबान के बदला लेने का ख़तरा है।
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जगह मिलने का इंतज़ार करते प्रवासी
2021 के अगस्त में काबुल पर तालिबान के क़ब्ज़े के बाद कैनेडा सरकार ने अपने यहां 40 हज़ार अफग़़ानों को शरण देने का वादा किया था। लेकिन 21 अप्रैल, 2022 तक कैनेडा में केवल 11,300 अफग़़ान ही पहुंच पाए हैं। अपना वादा पूरा करने के लिए कैनेडा सरकार ने अपने देश में पहले से मौजूद अफग़़ान दुभाषियों के परिजनों के लिए कैनेडा में स्थायी तौर पर बसने के रास्ते की घोषणा की।
लेकिन उस योजना के आलोचकों ने कैनेडा सरकार पर अनुचित और बेवजह की बाधाएं खड़ी करने का आरोप लगाया है। उन बाधाओं में दस्तावेज़ों और बायोमेट्रिक्स की शर्त शामिल है, जिसके चलते परिजनों के निकलने में बहुत देर हो रही है।
कैनेडा में बसे कई अफग़़ान दुभाषियों ने कैनेडा आने के लिए ज़रूरी उन दर्जनों दस्तावेज़ों के बारे में बताया। उनका कहना है कि तालिबान के शासन में सुरक्षित रहते हुए उन दस्तावेज़ों को जुटाना कुछ लोगों के लिए ही संभव है। ज़ाहिर है उन शर्तों के चलते अफग़़ान दुभाषिओं के परिजनों के लिए कैनेडा जाना आसान नहीं है। अभी तक तो इस योजना के तहत एक भी अफग़़ान कैनेडा नहीं जा पाए हैं।
कैनेडा के विपक्षी न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी की जेनी क्वान सरकार की इस नीति की कड़े आलोचक हैं। वे अभी कम से कम 300 अफग़़ान परिवारों और कऱीब 5,000 लोगों के मामलों की पैरवी कर रही हैं।
उन्होंने बताया कि मुख्य समस्या ये है कि फि़लहाल अफग़़ानिस्तान का कोई भी इंसान किसी तीसरे देश की यात्रा नहीं कर सकता, यदि उनसे बायोमेट्रिक पहचान और ज़रूरी कागज़ी कार्रवाई करने को कहा जाए।
उन्होंने कहा, "इसके लिए उन्हें तालिबान द्वारा चलाए जा रहे कार्यालय में जाकर पासपोर्ट मांगना होगा। आप सोच सकते हैं कि तब ज़रूर ख़तरे की घंटी बजेगी, जब किसी का पूरा परिवार ये कहे कि कैनेडा जाने के लिए उन्हें पासपोर्ट चाहिए।"
ज़ाहिद कहते हैं कि उनके परिजन जब तक अफग़़ानिस्तान में हैं, तब तक हर रोज़ उनकी जान जोख़िम में है।
उनके दो भाइयों में से एक तुर्की जा चुके हैं, जबकि दूसरे भाई अफग़़ानिस्तान में हैं लेकिन लापता हैं। अब उनकी दशा के बारे में किसी को कुछ नहीं मालूम।
उन्होंने बताया, "तालिबान घरों की तलाशी ले रहे हैं। मेरे दो अन्य सहयोगी कैनेडा में रहते हैं। उनमें से एक ने अपने 11 परिजनों को खो दिया है। वहीं दूसरे सहयोगी की बहन को स्कूल में मार दिया गया।"
ओटावा में रह रहे एक अन्य पूर्व दुभाषिए ग़ुलाम फ़ैज़ी ने बताया कि उनके परिवार के 18 सदस्य अभी अफग़़ानिस्तान में ही हैं और वे कहीं छिपे हुए हैं। परिवार के तीन अन्य सदस्य पाकिस्तान पहुंच गए हैं, जहां वे कैनेडा जाने की अनुमति हासिल करने के लिए बेकार में इंतज़ार कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, "उन्हें वहाँ गए तीन महीने हो गए हैं। अब पाकिस्तान का उनका वीज़ा भी ख़त्म हो गया है। कुछ को तो कैनेडा के अधिकारियों से कभी कोई जवाब ही नहीं मिला। पश्चिमी देशों के लिए दुभाषिए या कोई और काम कर चुके अफग़ान तब बहुत निराश हो जाते हैं, जब वे यूक्रेन से भागने वालों के साथ पश्चिमी देशों का ख़ास व्यवहार देखते हैं।
यूक्रेन के लिए कैनेडा के इमिग्रेशन मंत्री सीन फ्रेजऱ ने एलान किया कि सीनियर सिटीजऩ और 18 साल से छोटे लोगों को वीज़ा और बायोमेट्रिक्स की अधिकांश ज़रूरतों से छूट दी जाएगी। इसका नतीज़ा ये हुआ कि मार्च तक यूक्रेन के 60 हज़ार से अधिक लोगों ने नई योजना के ज़रिए कैनेडा जाने का आवेदन दिया है।
मालूम हो कि कैनेडा का नियम है कि इमरजेंसी यात्रा कार्यक्रम के तहत आने वाले लोग वहां तीन साल तक रह सकते हैं। आरोप है कि पश्चिमी देशों की सेनाओं के साथ काम कर चुके अफग़़ानों को तालिबान खोजकर मार रहा है।
ज़ाहिद के अनुसार, "यूक्रेन की स्थिति को अफग़़ानों से बेहतर कोई नहीं समझता। हम पर भी रूस ने हमला किया था। सरकार उनके लिए जो कर रही है हम उसकी सराहना करते हैं, लेकिन उन्हें हमें भी नहीं भूलना चाहिए।" जेन क्वान की मांग है कि सरकार कुछ वक़्त के लिए अधिकांश ज़रूरी दस्तावेज़ों से अफग़़ानों को छूट दे दे और किसी तीसरे देश जाने के लिए उन्हें यात्रा दस्तावेज़ जारी करे।
उनका कहना है कि उसके सहारे योग्य अफग़़ान लोग वहां से निकल कर किसी तीसरे देश और फिर वहां से कैनेडा जा सकते हैं।